बैठकर कुछ पल
इंतजार के सूने पहलू मेँ,
सिसकती शाम गुजर गई
छोड़कर तन्हा सुसप्त
तन्हाईयां।
बादलों से झाँकते चाँद को,
चंचल चाँदनी रातभर, खेलती हैं
अंधेरे के खंडित अस्तित्व से ।
मुस्कराती है मंद मंद और,
चिढ़ाती है अपाहिज अंधेरे को ।
पलभर को खोकर होशोहवास ,
हो गया हरण, बेसुध चाँदनी का ,
ले उड़ा उसे अंधेरा
दूर .....बहुत दूर....
इंतजार के सूने पहलू मेँ,
सिसकती शाम गुजर गई
छोड़कर तन्हा सुसप्त
तन्हाईयां।
शैशव अधेरा घुटनों के बल ,
रेंगता हुआ ताकता है डर से बादलों से झाँकते चाँद को,
चंचल चाँदनी रातभर, खेलती हैं
अंधेरे के खंडित अस्तित्व से ।
नवयौवना सी अल्हड़ चाँदनी
डालकर गलबहियाँ, चाँद को मुस्कराती है मंद मंद और,
चिढ़ाती है अपाहिज अंधेरे को ।
तरुण ज्योत्स्ना के मोहपाश मेँ
आलिंगनबद्ध चाँद, सो गया पलभर को खोकर होशोहवास ,
हो गया हरण, बेसुध चाँदनी का ,
ले उड़ा उसे अंधेरा
दूर .....बहुत दूर....
“विक्रम”
बहुत खूब दादा
जवाब देंहटाएंनज़र चूकी तो क्या क्या हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंदरअसल नज़र भी नहीं ... किसी के मोहपाश का कसूर है ...
अच्छी रचना है ...
हो गया हरण बेसुध चांदनी का ...
जवाब देंहटाएंबुराई का प्रतिक अँधेरा चाँद के ओझल होने का टकटकी लगाकर ओझल होने का इन्तजार करता है,और पल भर में ही अपना कब्जा जमा लेता है...सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत उम्दा प्रस्तुति सुंदर अभिव्यक्ति !!!
जवाब देंहटाएंRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
बेहतरीन रचना.... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शब्द संयोजन
जवाब देंहटाएंwaah bahut mnmohak rachna ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार के "रेवडियाँ ले लो रेवडियाँ" (चर्चा मंच-1230) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब रचना | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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सार्थक और सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहजता से कही मर्म की बात
बधाई
आपके विचार की प्रतीक्षा में
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
शानदार
जवाब देंहटाएं"चंचल चाँदनी रातभर, खेलती हैं
जवाब देंहटाएंअंधेरे के खंडित अस्तित्व से ।"
आपकी इन पक्तियों मे आशा ओर निराशा के बीच का ध्वन्ध का
रमणिक चित्रण किया गया है
बहुत खूब...बहुत उत्कृष्ट मनभावन चित्रण...
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