मैं अक्सर ,
अतीत के झुरमुटों से, बीते हुये पल चुनता हूँ…
धूल से सने मुस्कराते पल
भूले बिसरे कुमलाते
पल
तुम्हारी हँसी से खिले पल
शिद्दत से टूटकर मिले पल
मिले हैं कुछ शिकायती पल
मगर हैं बड़े किफ़ायती
पल
बैठे हैं ऐंठकर कुछ रूठे पल
गुस्से से तुनककर उठे पल
मुझे देख होते, हैरान से पल
खामोश और परेशान से पल कुछ मेरे कुछ तुम्हारे पल
सब मिल बने हमारे पल
//विक्रम
शानदार
जवाब देंहटाएंखुशी मिलती यहाँ एक पल के लिए
जवाब देंहटाएंबचा के कर रख प्यारे कल के लिए
रेत के जैसा फिसलता हुआ वक़्त है
मत गँवाना कपट और छल के लिए,,,
वाह !!! बेहतरीन रचना,आभार,
RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत सुहाने पल...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
charchamanch.blogspot.in/
Pal saarthak ho jate hain jab apne apne palo se hamare pal bante hain ...
जवाब देंहटाएंAise hi khoobsootar palo ki dastan ...
सार्थक प्रस्तुति | सुन्दर लेखन | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
तुम्हारे हमारे पलों से जब अपने पल बन जाते हैं तो वो सार्थक हो जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंभावभीनी रचना ...
बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंपधारें बेटियाँ ...
bade acche pal ......rangbirange ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंजीवन के ये अनकहे पल मंहगे भी हैं और किफायती भी
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर अनुभूति
बधाई आपको
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
sunder prastuti
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