ब्लॉग का नाम मैने अपने गाँव (गुगलवा-किरताण ) के नाम पे रखा है ,जो सरकार की मेहरबानी से काफी पिछड़ा हुआ गाँव हैं |आज़ादी के इतने बरसों बाद भी बिजली,पानी ,डाकघर , अस्पताल जैसी सुविधाएँ भी पूर्णरूप से मय्यसर नहीं हैं. गाँव के सुख दुःख को इधर से उधर ले जाता हूँ , ताकि नेता को दया आ जाये | वैसे नेता लोगों से उम्मीद कम ही है इसलिए मैने अपने गाँव (Guglwa) का नाम Google से मिलत जुलता रखा है , ताकि Google की किस्मत की तरह Googlwa की किस्मत भी चमक जाये
शनिवार, नवंबर 24, 2012
24 टिप्पणियां:
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नुकीले शब्द
कम्युनल-सेकुलर, सहिष्णुता-असहिष्णुता जैसे शब्द बार बार इस्तेमाल से घिस-घिसकर नुकीले ओर पैने हो गए हैं , उन्हे शब्दकोशों से खींचकर किसी...
बहुत सुन्दर विक्रम जी ''मेरे तन्हा दिल पर होती घुसपैठ'' । अच्छी है आपकी लिखी पंक्तियां
जवाब देंहटाएंयादों को ही तो नहीं बंधा जा सकता .... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमेरे तन्हा मन में
निरन्तर होती है घुसपैठ
तेरी यादों की,
और देर तक होता है संघर्ष
टूटे ख्वाबों को लेकर …
आखिरकार
पानी ज्यों बहते है अश्क दोनों के…
बहुत सुंदर विक्रम जी !
बेहतरीन !
संवेदनशील रचना !
वाऽह ! क्या बात है !
…आपकी लेखनी से सुंदर रचनाओं का सृजन ऐसे ही होता रहे …
शुभकामनाओं सहित…
मेरे तन्हा मन में
निरन्तर होती है घुसपैठ
तेरी यादों की,
और देर तक होता है संघर्ष
टूटे ख्वाबों को लेकर …
आखिरकार
पानी ज्यों बहते है अश्क दोनों के…
बहुत सुंदर विक्रम जी !
बेहतरीन !
संवेदनशील रचना !
वाऽह ! क्या बात है !
…आपकी लेखनी से सुंदर रचनाओं का सृजन ऐसे ही होता रहे …
शुभकामनाओं सहित…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
बहुत सुंदर....काश यादों को बांधा जा सकता ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
कोमल सी कविता..
सादर
अनु
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
कोमल सी कविता..
सादर
अनु
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंकोमल भाव की रचना...
जवाब देंहटाएंअति उत्तम प्रस्तुति....
:-)
कोमल भाव की रचना...
जवाब देंहटाएंअति उत्तम प्रस्तुति....
:-)
कोमल भाव की रचना...
जवाब देंहटाएंअति उत्तम प्रस्तुति....
:-)
बहुत सुंदर भाव ....सुंदर रचना ....!!
जवाब देंहटाएंउधर तुम ,
जवाब देंहटाएंअपनी यादों को
बांध के रखो ,
और इधर में,
करता हूँ कोशिश
बहलाने की,
इस मासूम
दिल को।
अहा ये नाजुक सी कविता ।
उधर तुम ,
जवाब देंहटाएंअपनी यादों को
बांध के रखो ,
और इधर में,
करता हूँ कोशिश
बहलाने की,
इस मासूम
दिल को।
अहा ये नाजुक सी कविता ।
बहुत खूब ... पर यादें किसके रोके रूकती हैं ...
जवाब देंहटाएंचली आती हैं बिन बुलाये बिन भेजे ...
बहुत खूब ... पर यादें किसके रोके रूकती हैं ...
जवाब देंहटाएंचली आती हैं बिन बुलाये बिन भेजे ...
कोशिश तो कर लेंगे पर सफलता इतनी आसान नहीं होगी दिल को बहलाने की :)
जवाब देंहटाएंbahut khoob likha hai aapne,
जवाब देंहटाएंvivek jain,
bahut khoob likha hai aapne,
जवाब देंहटाएंvivek jain,
करता हूँ कोशिश
जवाब देंहटाएंबहलाने की,
इस मासूम
दिल को।
क्या बात है। बहुत ही सुन्दर रचना।
शुभकामनाओं सहित आपका संजय सिंह जादौन
करता हूँ कोशिश
जवाब देंहटाएंबहलाने की,
इस मासूम
दिल को।
क्या बात है। बहुत ही सुन्दर रचना।
शुभकामनाओं सहित आपका संजय सिंह जादौन