“तुम !” , डॉक्टर ने उसे पहचानते हुये कहा। “तुमने तो दो हफ्ते पहले खून दिया था ना? ”
“जी... हाँ डॉक्टर साहब”, बुधिया ने दीनता से मुस्कराकर हाथ जोड़ते हुये कहा ।
“लेकिन..... तुम इतनी जल्दी दुबारा खून नहीं दे सकते”
“साहब , दया कीजिये , मेरा खून देना जरूरी है । मुझे पैसों की सख्त जरूरत है। “ , बुधिया ने डॉक्टर के पैरों की तरफ हाथ बढ़ाते हुये कहा।
“नहीं” ,डॉक्टर ने बिना उसकी तरफ देखे इंकार ए सिर हिलाते हुये कहा।
“.....”,बुधिया ने डॉक्टर के पैरों के पास बैठते हुये हाथ जोड़कर लगभग रो देने वाले अंदाज मे विनती की।
“लेकिन मे ठीक हूँ , देखिये “, बुधिया ने खड़े होकर अपना सीना आगे की तरफ निकालकर ताकत दर्शाते हुये कहा ।
डॉक्टर ने नर्स की तरफ उसका खून लेने का इशारा किया । इशारा पाते ही बुधिया मुस्कराता हुआ नर्स के पीछे पीछे चल पड़ा।
खून देने के बाद काउंटर से पैसे लेते वक़्त बुधिया के चेहरे पे मुस्कान और गहरी हो गई और अस्पताल से बाहर आकार तेज़ कदमों से मिठाई की दुकान की तरफ बढ़ गया। सुबह जब आस पड़ोस मे एक दूसरे के घरों मे दिवाली की मिठाइयों का आदान प्रदान हो रहा था तो उसके तीन से भूखे बच्चे ललचाई नजरों से उन्हे देख रहे थे ।
/AK
-विक्रम
बहुत मार्मिक
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उत्कृष्ट मार्मिक रचना,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : प्यार न भूले,,,
मार्मिक पर कितना सच ...
जवाब देंहटाएंअभी तक देश में ऐसे हालात हैं ये शर्म की बात है ... तरक्की का नारा कितना खोखला है इसी से पता चलता है ..
मार्मिक पर कितना सच ...
जवाब देंहटाएंअभी तक देश में ऐसे हालात हैं ये शर्म की बात है ... तरक्की का नारा कितना खोखला है इसी से पता चलता है ..
बहुत मार्मिक
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी। सीचने पर विवश हो गया। वास्तव में गरीबी एक मानसिक स्थिति है या एक एसा जाल जिसमे से निकलना चाहते हुए भी इंसान और और फास्ता जाता हैं
जवाब देंहटाएंराज्पुय साहब वाह नमन दिल हात ने आ जाये ऐसा लिखा हैं
जवाब देंहटाएंराज्पुय साहब वाह नमन दिल हात ने आ जाये ऐसा लिखा हैं
जवाब देंहटाएंNanak dukhia sab sansar.Jagat mein aisi halat hai lekin dekhne ki himmat kaun karta hai.
जवाब देंहटाएंHar kisi mein aiisa dekhne ki himmat nahi hoti.
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