अक्सर सुनने मे आता है की फेसबूक या अन्य किसी सोशल साइट्स से कैसे
अपराधों को अंजाम दिया जाता है । मगर इसके पीछे सोशल साइट्स का कसूर नहीं बल्कि ये
इंसानी दिमाग का फितूर है जो किसी भी चीज को मध्यम बनाकर ऐसे अपराधो को जन्म देता
है । में भी फेसबूक पिछले दो तीन साल से इस्तेमाल कर रहा हूँ। इन सालों में बहुत
से दोस्त बनाए, कुछ हाय हैलो तक सीमित रहे , कुछ बरसों
पुराने दोस्त अक्सर मिल गए , कुछ काफी क्लोज फ्रेंड्स भी बने
जिनसे अक्सर बातें होती , फोन नंबर तक भी हमने शेयर किए।
अभी इसी माह 03 मार्च’2013 को
कुछ दोस्तों ने एक सामाजिक समारोह के दौरान मिलने का निश्चय किया। में पहले किसी
से आपने सामने नहीं मिला था मगर हर एक की फेसबूक के मध्यम से एक छवि मेरे मानस पटल
पर थी। अक्सर होने वाली बातों के दरम्यान उनके वक्तित्व का भी एक रेखाचित्र दिमाग
में कहीं अंकित हो चुका था।
03-मार्च-2013 को जयपुर के “राजपूत सभा भवन”
मे कुँवर आयुवान सिंह हुडील का स्मृति समारोह मनाया जाना था। और इसी दिन अधिक
से अधिक फेसबूक दोस्तों के इकट्ठे होने का प्रोग्राम था तो मेंने भी जाने का
प्रोग्राम बनाया , मुझे बंगलोर से जयपुर के लिए निकलना था, सो नए दोस्तों से मिलने की उत्कंठा में सुबह 4 बजे उठकर जल्दी जल्दी से
तैयार होकर एयरपोर्ट के लिए निकला। तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार मे निर्धारित समय
पर वहाँ पहुँच गया जहां करीब हजारों लोगों का मजमा लगा था। राजपूत समाज के अनेकों
स्त्री पुरुष समाज के प्रतिष्ठित लोगों के प्रवचन सुन रहे थे।
अब मुद्दा ये उठा खड़ा हुआ की पहचाने कैसे ? मगर
इसका हल भी हर एक के पास था और वो था सभी की फेसबूक प्रोफ़ाइल में असली फोटो का
होना। मेरे समारोह मे शामिल होने से पहले ही गेट पर मुझे एक दोस्त (भँवर सिंह
राठोड़) ने पहचान लिया। बहुत ही मिलनसार और मृदु स्वभाव के स्वामी। उनसे कुछ ही
पलों के वार्तालाप से अपनापन का अहसास
होने लगता है। वो मुझे बाकी के दोस्तों से मिलने ले गए जो भीड़ मे यहाँ वहाँ
बैठे हुये थे।
सामने ही कुछ कदम की दूरी पर महावीर सिंह
राठोर बैठे हुये मिले जिन्हे मैंने दूर से ही पहचान लिया। एक युवा पुलिस ऑफिसर
होते हुये भी सामाजिक कार्यक्रमों में अच्छा दखल रखते हैं। इनसे फेसबूक के शुरुवाती
दिनों में कुछेक राजपूत सामाज की बातों को
लेकर मेरी अच्छी ख़ासी बहस हुई थी, यहाँ
तक की मैंने इन्हे ब्लॉक तक कर दिया था। मगर धीरे धीरे एक दूसरे को हमने समझने की
कोशिश की तो वक़्त के साथ साथ हम बहुत अच्छे दोस्त साबित हुये जिसकी बदौलत मे आज
हजारों किलोमीटर का सफर तय कर इनसे मिलने आ गया। बहुत ही सुलझे हूए व्यक्ति। इनसे
मिलकर लगता नहीं की आप किसी पुलिस ऑफिसर से मिल रहे हैं। बहुत ही शांत और सौम्य
स्वभाव के धनी। अपनी ईमानदारी के चलते नेता लोगों की आँख की किरकिरी बने महावीर
सिंह जी अक्सर अखबारों मे जगह पाते रहते हैं। एक अच्छे लेखक और बहुत ही प्यारी से
बेटी के पिता महावीर सिंह जी कुल मिलाकर एक शानदार इंसान हैं और मुझे फ़क्र है की
ये मेरे फेसबूक फ्रेंड हैं।
उम्मेद
सिंह “करीरी” , एक होनहार और कर्मठ युवा हैं, जो समाज
के नाम पर या दलगत राजनीति करने वालों को उनकी औकात याद दिलाते हैं। समाज के नाम
पर बिजनेस करने वालों के घोर विरोधी रहे उम्मेद सिंह जी अक्सर अपने विरोध का बिगुल
बजाते नजर आते हैं। समाज हित के लिए सदा सजग रहते हैं। जमीन से जुड़ा व्यक्तित्त्व
हर किसी को इनका मुरीद बना सकता है। पिछले दिनो इन्होने एक बहुत ही गरीब परिवार
जिसमे एक अपंग बेटा और उसकी माँ थे , उनकी फेसबूक के माध्यम
से काफी आर्थिक सहायता की। अक्सर ऐसे ही सामाजिक कार्यक्रमों मे उलझे रहने से
उम्मेद सिंह जी को आत्म संतुष्टि मिलती है।
शिखा सिंह चौहान , एक
हंसमुख और खुले विचारों की महिला। लड़की होना कभी उसके आड़े नहीं आया, परिवार से स्वतन्त्रता मिली तो अपनी राहें खुद तय की। एक सफल गृहणी और दो
प्यारी सी बच्चियों की माँ होने की जिम्मेदारियों के साथ साथ सामाजिक कार्यक्रमों
में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवाती हैं। शिखा भी उसी सुबह दिल्ली से फ्लाइट द्वारा
जयपुर पहुंची थी। शिखा के सामने कोई भी अंजान ज्यादा देर तक अंजान बना नहीं रह
सकता, वो बहुत जल्दी घुलमिल जाती है। जब बोलने लगती है तो बस
शिखा ही बोलती है बाकी चुप ही हो जाते हैं।
वीरेंद्र सिंह शेखावत,
हरफनमौला,बिंदास जैसे शब्द सायद इन्ही के लिए बने थे। बहुत
खुशमिजाज़ व्यक्तित्व। “टेंशन लेने का नहीं देने का” जैसे संवाद इनपे खूब जमते हैं।
मदद के लिए हर वक्त तैयार रहने वाले वीरेंद्र सिंह जी दोस्तों मे अपना एक ख़ास
मुकाम रखते हैं। हंसी-मज़ाक के साथ माहौल को अपने हक मे करने का हुनर इन्हे खूब आता
है। ज़िंदगी का लुत्फ़ पूरे जोश से उठाते हैं, इसी वजह से
मायूसीयां इनसे फ़ासला बनाकर ही रहती है।
राजवीर
चौहान, बहुत मिलनसार और सौम्य स्वभाव के
राजवीर जी को पहचान ने मे मुझे थोड़ी दिक्कत हुई क्योंकि इनकी पहले प्रोफ़ाइल मे लगी
फोटो के क्लोजउप वाला फोटो नहीं था। लेकिन मैंने इनकी आवाज से इन्हे तुरंत पहचान लिया।
मेरी और राजवीर जी की अक्सर फोन पे काफी बातें होती थी मगर हमे मिले थे पहली बार। खुले
दिलोदिमाग वाला इनका व्यक्तित्व हर किसी को
आकर्षित करने वाला है। जमीन से जुड़े एक मिलनसार व्यक्ति हैं।
बलबीर राठोर , राहुल सिंह शेखावत काफी
युवा है। इस उम्र मे भी सामाजिक गतिविधियों मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। अपने बड़ो
का आदर करना इनके संस्कारों मे शुमार हैं , और वही असामाजिक हरकतों
और तत्वों से निपटना बखूबी आता है। इनसे मिलकर काफी अच्छा लगा। ऐसे युवा ही भविष्य
मे समाज को सदा शीर्ष रखेंगे।
बाकी के सदस्यों का परिचय अगले अंक मे ।
शाम
को सभी सदस्यों के लिए शानदार दावत का इंतजाम भी महावीर सिंह जी ने किया।
·
1. कुँवर आयुवान सिंह के बारें मे अधिक जानकारी के लिए श्री
रतन सिंह शेखावत के ब्लॉग (http://www.gyandarpan.com/2011/10/blog-post_16.html ) पर विजिट
करें।
हुकम हम सब तो आपके बहुत आभारी है सा, जो आप इतनी दूर से पधार कर आये, सही में ऐसा लगा जैसे राम भारत का मिलाप हुआ है। आपके स्नेह का सदा आकांक्षी रहूँगा।
जवाब देंहटाएंफेस बुक के बहाने कई अच्छे दोस्त मिल जाते है,,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: होरी नही सुहाय,
किसी जरुरी कार्य के लिए जोधपुर जाना पड़ गया इसलिए कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाये इसका बहुत अफ़सोस है और रहेगा|
जवाब देंहटाएंअफ़सोस करण की जरुरत कोनी, थ्हे जद कहोगा, तद ही कार्यक्रम कर ल्यांगा। :)
हटाएंदादा आपने अपने बारे मे कुछ भी नहीं लिखा ? चलो मे लिख देता हु हंसमुख और खुले विचारों के धनी है विक्रम सिंह जी मिलनसार और खुशमिजाज व्यक्तिव के धनी है विक्रम सा
जवाब देंहटाएंऔर इश्वर से प्रथना करता हु की जल्दी ही आप सब से मुलाकात हो
थैंक्स गजेंद्र सा , सम्मान के लिए आभार
हटाएंदादा आपका बहूत बहूत आभार ,,,सच में मज़ा आया सब से मिलकर,,,,
जवाब देंहटाएंखास तौर से में आपको मिलने गयी थी वहां ,,,लगा ही नही की पहली बार किसी से मिली हूँ
और आप जैसे बड़े भाई ,,,किस्मत से मिलते हैं ....love n regard to u dada
दादा आपका बहूत बहूत आभार ,,,सच में मज़ा आया सब से मिलकर,,,,
जवाब देंहटाएंखास तौर से में आपको मिलने गयी थी वहां ,,,लगा ही नही की पहली बार किसी से मिली हूँ
और आप जैसे बड़े भाई ,,,किस्मत से मिलते हैं ..my love n regard to u dada
आप इतनी दूर से आये ,व् कार्यकर्म को अटेंड किया ....आपके जज्बे का क्या कहना हुकुम ।आप सभी का Facebook से By Face मिलन बहुत सुखद लगा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा जानकार .... ओर आप सबका मिलन सुखमय रहा ये अच्छी शुरुआत है ...जरूरी नहीं है की सोशल साईट से रिश्ते नहीं बनते ... बस इमानदारी जरूरी है सभी में ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनायें आप सभी को ...
सभी दोस्तों से मिलकर बहुत खुशी हुई.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हमें भी आपके शानदार व्यक्तित्व ने शांत और सदेव मर्दुल बने रहने की प्रेरणा प्रदान की ! हार्दिक आभार आपके स्नेहिल सानिध्य, समर्थन और सहयोग के लिए हुकुम !!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आप सभी को
जवाब देंहटाएंवाह ....!!
जवाब देंहटाएंमैं भी एक बार गई थी पर मैंने किसी को नहीं पहचाना सिवाय महफूज़ के .....:))
sukriya apka apne in suke bare me itni sari jankari di hukum
जवाब देंहटाएंJai rajputan
जवाब देंहटाएंKya Bat Hain JI ..! www.irworld.in
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जवाब देंहटाएंबाकी के सदस्यों का परिचय अगले अंक मे ।
@ अगला अंक नहीं आया !!
:) बाकी के सदस्य मौजूद नहीं थे, और उनसे ज्यादा बात नहीं हो पाई एसलिए अगले मिलन पे उनसे मुलाकाती क्षणों का सिलसिलेवार ब्योरा दूंगा ।
हटाएंitne din intjar tha vah socha khatam ho jayega sayad na huya
हटाएंअगला अंक अगले साल आएगा ! अगले वर्ष के लिए इंतजार करे !
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जवाब देंहटाएंहमारे मेवाड़ में गवरी नचाते वहा सभी देव, नर नारी पात्र एक दिशा में चलतें, परन्तु एक शंकर भगवान पात्र उल्टा चलता वैसे मै भी उन भगवान का सेवक हूँ सो उल्टा ही सही ! वैसे यज्ञ में भगवान शंकर को नहीं जाते उसी कदम ताल पर मै भी, वैसे आप को कोयल सी प्यारी बोली सुनने की तमन्ना हैं, जैसे प्रभु इच्छा ! जय एकलिंगनाथ जी की !
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