क्षितिज की
खोहों तक
पसरा सन्नाटा और
शाखाओं पर बैठे
शोकाकुल पक्षी,
देकर उलाहना
भौर की लालिमा को ,
को बता रहे हैं
बीती रात
का वो स्याह सच ,
और दिखा रहे है
इशारों से
धरा का वो
सलवटी हिस्सा
जिस पर मिलकर ,
दुशासनों ने
जी-भरकर ,
नोचा-खसोटा और
फेंक दिया जूठन सा
एक द्रोपदी को , मगर
सुनकर उसका
कारुणिक क्रंदन
नहीं आया कहीं से
एक भी देवकीनंदन
खोहों तक
पसरा सन्नाटा और
शाखाओं पर बैठे
शोकाकुल पक्षी,
देकर उलाहना
भौर की लालिमा को ,
को बता रहे हैं
बीती रात
का वो स्याह सच ,
और दिखा रहे है
इशारों से
धरा का वो
सलवटी हिस्सा
जिस पर मिलकर ,
दुशासनों ने
जी-भरकर ,
नोचा-खसोटा और
फेंक दिया जूठन सा
एक द्रोपदी को , मगर
सुनकर उसका
कारुणिक क्रंदन
नहीं आया कहीं से
एक भी देवकीनंदन
-विक्रम
बहुत ही मार्मिकता के साथ लिखा है! सतयुग की द्रोपदी के साथ कलयुग की द्रोपदी की विवशता की मार्मिक अभिव्यक्ति की है!
जवाब देंहटाएंकई दिनों से मैं ब्लॉग की दुनियां से कटा कटा रहा ... तो मैं आपकी पोस्ट पर नही आ पाया ...
जवाब देंहटाएंकोरवों की तरह तमाशबीनों की दुनियां में देवकीनंदन मात्र कल्पना सी है।
रचना अच्छी है.
यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा: शहरे-हवस
"सुनकर उसका
जवाब देंहटाएंकारुणिक क्रंदन
नहीं आया कहीं से
एक भी देवकीनंदन"
संवेदनहीन हो रहे समाज की वास्तविकता - साकार प्रस्तुति - अति सुंदर
दुशासनों की फ़ौज देख देवकीनंदन ने शायद ऑंखें मूंद ली है ...अब खुद आज द्रोपदी को अपनी रक्षा के लिए स्वयं कदम उठाने होगें ..गूंगी-बहरी होती मानसिकता के बीच आखिर कितने उम्मीद रखे ..बहुत अच्छी गहन सम्वेंदना से उपजी सार्थक प्रस्तुति ..आभार
जवाब देंहटाएंचिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,
जवाब देंहटाएंजाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,
recent post : नववर्ष की बधाई
dardbhari.....samyik rachna.
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा है सूर्योदय की... नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ....
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक
जवाब देंहटाएंदेवकी नंदन जरूर आएंगे .. पहले खुद में पौरुष जगाना होगा ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक चित्रण है ... पर कडुवा सत्य लिखा है ..
२०१३ की मंगल कामनाएं ...
ruh ko chu liya
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