नसीहत से सरोबर आवाज ,
पूर्वजों की...,
अकसर आती है..., जो ,
चोकस खड़े है,
आज भी.
उन वीरान खंडहरों के चहुँ और..,
....जिनको सींचा था ,
शाका और जौहरकी ज्वाला से..,
और बचाकर रखा था,
...ताकि सौंप सकें
भविष्य के हाथों में ...
और बचा रहे अस्तित्व ,
मगर आज .....?
लुप्त हो रहा है अस्तित्व ,
इन आँधियों में ,
सुनो ! ,
फिर एक रोबदार आवाज ,
....उन महलों से ,
आदेशात्मक सरगरोशी.... ,
जो कभी ,
सिहरन भर देती थी ,
दुश्मन के सीने में... ,
कहा ,
सुनो !
एक और शाका ...!
हाँ..... !
...करना पड़ेगा तुम्हे ... ,
ताकि.... ,
सनद रहे,
की तुम,
आम नहीं ,
खास हो ...,
निभा दो वो प्रथा..!
जो पहचान है हमारी ,
वरना....
खास से आम कर देंगे तुम्हे
ये वक़्त की अंधड़..!
"विक्रम"
पूर्वजों की...,
अकसर आती है..., जो ,
चोकस खड़े है,
आज भी.
उन वीरान खंडहरों के चहुँ और..,
....जिनको सींचा था ,
शाका और जौहरकी ज्वाला से..,
और बचाकर रखा था,
...ताकि सौंप सकें
भविष्य के हाथों में ...
और बचा रहे अस्तित्व ,
मगर आज .....?
लुप्त हो रहा है अस्तित्व ,
इन आँधियों में ,
सुनो ! ,
फिर एक रोबदार आवाज ,
....उन महलों से ,
आदेशात्मक सरगरोशी.... ,
जो कभी ,
सिहरन भर देती थी ,
दुश्मन के सीने में... ,
कहा ,
सुनो !
एक और शाका ...!
हाँ..... !
...करना पड़ेगा तुम्हे ... ,
ताकि.... ,
सनद रहे,
की तुम,
आम नहीं ,
खास हो ...,
निभा दो वो प्रथा..!
जो पहचान है हमारी ,
वरना....
खास से आम कर देंगे तुम्हे
ये वक़्त की अंधड़..!
"विक्रम"
जवाब देंहटाएं♥
प्रिय बंधुवर विक्रम शेखावत जी
सस्नेहाभिवादन !
सुनो !
एक और शाका…!
हां…!
करना पड़ेगा तुम्हे …
ताकि ,
सनद रहे
की तुम
आम नहीं
खास हो … !
आपकी रचना भी ख़ास है … बहुत सुंदर और प्रभावशाली प्रस्तुति !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
विक्रम जी,
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना,नए अंदाज में लिखी प्रभावशाली सुंदर पोस्ट,...
इसी तरह से लिखते रहें,मेरी शुभकामनाएँ बधाई..
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है,..
http://dheerendra11.blogspot.com
मेरा मुख्य ब्लॉग'काव्यांजली'है
bahut achi lagi aapki likhi yah rachna ..behtreen abhiwykati hai
जवाब देंहटाएंbhut acha laga mujhe.........
जवाब देंहटाएंRajput ji aapka comment pad kar mujhe or jyaada likne ki takt mili h eeske liye "THANK YOU"
yu hi margdarshan karvate rhiye ga...
please join my blog
http://rohitasghorela.blogspot.com
exceelent
जवाब देंहटाएंजो जाति समाज और धरम आपने इतिहास को भूल जाते है उसका सर्वनाश निश्चित है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता है आपकी ..........
शानदार रचना
जवाब देंहटाएंkahne ke liye sabd kam pad rahe hai hukum
जवाब देंहटाएंअतीत और वर्तमान का सुन्दर समावेश किया है
जवाब देंहटाएं