मौसम की करवटों
के दरमियाँ, तेरी यादों
से विह्वल लम्हे ,
आँखें मलते हुये
जाग उठते हैं
चिर-निद्रा से।
चुपके से मैं,
कुछ भूले हुये से लम्हों
को ,वक़्त की
हथेली पर रखकर,
याद करने लगता हूँ
उन लम्हों के जन्म
के वो पल ,
जो अब असपष्ट से हैं
मेरे मानस पटल पर ।
कुछ खास लम्हे ,
मुझे देखते ही मुस्कराने
लगते हैं , मै बेबस सा
उनकी मासूम सी
मुस्कराहटों के जवाब में
मैं, बस मुस्करा देता हूँ
दबाकर आंदोलन
आँसूओं का ।
“विक्रम”
bahut khub ! bahut gahara!
जवाब देंहटाएंयादों को रोकना मुश्किल होता है ... पर आंसुओं को रोकना भी आसान नहीं ... लम्हों की दास्ताँ से दिल तो वाकिफ होता ही है ...
जवाब देंहटाएंAmazing!
जवाब देंहटाएंVisit iRworld
सुंदर
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