रविवार, मई 11, 2014

दस्तक !!

वो तुम्हारी पहली
दस्तक !!
मुद्दतों बाद आज भी,
जगा देती है
सुसप्त तन्हाइयों को ...
जिंदगी का एक
वो हिस्सा जो
तेरे पहलू मे गुजरा ,
बहुत भारी रहा
बाकी जिंदगी पे ।
नीरस  रहा दौर
बाकी जिंदगी का ,
तेरे साथ गुजारे उन  
चंद लम्हों को छोड़कर....
तुमसे मिलना,  
एक पड़ाव था,
ज़िंदगी का
बाद उसके सफर ,
बहुत  तन्हा ही गुजरा....
वैसे भी , है क्या जिंदगी में,
उन चंद मुलाक़ातों के सिवा.....
 

“विक्रम”

4 टिप्‍पणियां:

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