मैं,
तैरकर ना आ सका
हमारे दरमियाँ बहते
रिवाजों ,ऊंच-नीच
की लहरों ,समाज के
बंधनो के भँवर के उस पार....
मगर ,
मैंने तुम्हारी यादों की
एक नाव बना रखी है,
तुम बस उस पार
इंतजार की पतवार
थाम के रखना ,
इस जन्म का लंगर
खोल, फिर लेंगे
पुनर्जन्म .....
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