अतीत के आले में
एक बेनाम-सा रिश्ता
छुपाकर अपनों से,
सहेज के रखा है वर्षों से...
मैं ताउम्र उसके लिए
तलाशता रहा एक
उपयुक्त सा सम्बोधन,
ताकि पुकार सकूँ उसे...
मगर चाहकर भी,
आवंटित ना कर सका
कोई सार्थक सा नाम,
और बस बैठाता रहा
तारतम्य नामांकित
और बेनाम-से
रिश्तों के
दरमियाँ
उम्रभर..!
एक बेनाम-सा रिश्ता
छुपाकर अपनों से,
सहेज के रखा है वर्षों से...
मैं ताउम्र उसके लिए
तलाशता रहा एक
उपयुक्त सा सम्बोधन,
ताकि पुकार सकूँ उसे...
मगर चाहकर भी,
आवंटित ना कर सका
कोई सार्थक सा नाम,
और बस बैठाता रहा
तारतम्य नामांकित
और बेनाम-से
रिश्तों के
दरमियाँ
उम्रभर..!
"विक्रम"