राजस्थान में ये नाम किसी पहचान का मोहताज नही बच्चा बच्चा जानता है सीमावर्ती गाँव बाखासर को और वहाँ के रोबिन हुड श्री बलवन्त सिंह जी । दरअसल 60 और 70 के दशक के पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े डकैत जिनसे बोर्डर पार पाकिस्तानी भी ख़ौफ़ खाते थे।  दरअसल कितनी ही बार पाकिस्तानियो को गाय चोरी कर पाकिस्तान ले जाते उन्होंने रोका था।  कुछ एक को तो गोली से भी उड़ा दिया था।  1971 में युद्ध हुआ भारत पाक के बिच तक सेना को डाकू बलवन्त सिंह याद आये खुद ब्रिगेडियर भवानी सिंह बलवन्त सिंह से जाकर मिले और सेना को मदद करने की गुहार की ।
 कारण बलवन्त सिंह का ननिहाल भी पाकिस्तान था, सो वे पाकिस्तानी हिन्दुओ को बातचीत कर भारत के पक्ष में कर पाये एवम् पाक के गाँव गाँव चप्पे चप्पे का रास्ता बलवन्त सिंह जी जानते थे।  सो सेना को भी उम्मीद थी की बहुत बड़ी मदद मिल सकती थी।  बेझिझक बलवन्त सिंह जी सेना के साथ खड़े हुए अपनी पूरी डकैत टीम के साथ खुद उन्होंने बोर्डर पर मोर्चा सम्भाला एवम् उनकी सबसे बड़ी कामयाबी रही।  पाकिस्तान के छाछरो मिट्ठी थरपारकर  गाँवो के हिन्दुओ को एकत्रित किया और मनाया की इस युद्ध में भारतीय सेना का साथ दिया जाए।  उक्त गाँवों के लोगो ने बिना शर्त खुलकर भारतीय सेना का साथ दिया।  और पाकी सेना के एक एक ठिकाने की बंकर  की पूरी जानकारियां इंडियन आर्मी को दी जिस कारन हम 1971 में एक बड़ी जीत हासिल कर पाये।  बाद में खुद तत्कालीन प्रधान मंत्री तक बलवन्त सिंह जी बाखासर द्वारा मदद के किस्से पहुंचे तो उन्होंने बलवन्त सिंह जी के सर पर जितने भी डकैती के केस थे सब फौरन हटाने की कार्यवाही की।  
 
 4 October 2016 को भारतीय सेना एक बार फिर बलवन्त सिंह जी के घर पहुंची और उनके पोत्र रतन सिंह जी से मिली और आह्वान किया की अगर युद्ध होता है आपसे अनुरोध करते है आपके गाँव और आसपास के गाँवों को तैयार करे ताकि वे फिर से सेना की मदद कर सके। 
 
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