ब्लॉग का नाम मैने अपने गाँव (गुगलवा-किरताण ) के नाम पे रखा है ,जो सरकार की मेहरबानी से काफी पिछड़ा हुआ गाँव हैं |आज़ादी के इतने बरसों बाद भी बिजली,पानी ,डाकघर , अस्पताल जैसी सुविधाएँ भी पूर्णरूप से मय्यसर नहीं हैं. गाँव के सुख दुःख को इधर से उधर ले जाता हूँ , ताकि नेता को दया आ जाये | वैसे नेता लोगों से उम्मीद कम ही है इसलिए मैने अपने गाँव (Guglwa) का नाम Google से मिलत जुलता रखा है , ताकि Google की किस्मत की तरह Googlwa की किस्मत भी चमक जाये
शनिवार, जुलाई 23, 2016
3 टिप्पणियां:
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नुकीले शब्द
कम्युनल-सेकुलर, सहिष्णुता-असहिष्णुता जैसे शब्द बार बार इस्तेमाल से घिस-घिसकर नुकीले ओर पैने हो गए हैं , उन्हे शब्दकोशों से खींचकर किसी...
जख्मों को नापने का प्रयास दुःख के सागर बढ़ा देता है ...
जवाब देंहटाएंइनकी गहराई तो भर मंदी ही ठीक है ...
kya khoob keha
जवाब देंहटाएंBahut sunfar
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