क्षितिज की
खोहों तक
पसरा सन्नाटा और
शाखाओं पर बैठे
शोकाकुल पक्षी,
देकर उलाहना
भौर की लालिमा को ,
को बता रहे हैं
बीती रात
का वो स्याह सच ,
और दिखा रहे है
इशारों से
धरा का वो
सलवटी हिस्सा
जिस पर मिलकर ,
दुशासनों ने
जी-भरकर ,
नोचा-खसोटा और
फेंक दिया जूठन सा
एक द्रोपदी को , मगर
सुनकर उसका
कारुणिक क्रंदन
नहीं आया कहीं से
एक भी देवकीनंदन
खोहों तक
पसरा सन्नाटा और
शाखाओं पर बैठे
शोकाकुल पक्षी,
देकर उलाहना
भौर की लालिमा को ,
को बता रहे हैं
बीती रात
का वो स्याह सच ,
और दिखा रहे है
इशारों से
धरा का वो
सलवटी हिस्सा
जिस पर मिलकर ,
दुशासनों ने
जी-भरकर ,
नोचा-खसोटा और
फेंक दिया जूठन सा
एक द्रोपदी को , मगर
सुनकर उसका
कारुणिक क्रंदन
नहीं आया कहीं से
एक भी देवकीनंदन
-विक्रम