में उत्तर भारत से सम्बन्ध रखता हूँ मगर पिछले लगभग एक दशक से दक्षिण भारत में रह रहा हूँ .इस दौरान मैंने उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत में बहुत सा फर्क देखा है , जिसमे खान पान, रहन सहन , वेशभूषा से लेकर आचरण तक शामिल है .आज में कुछ खास बातों का जिक्र करूँगा जो हमें उत्तर भारत में देखने को नहीं मिलती.यहाँ के लोग बहुत धर्मिक प्रवर्ती के होते हैं . यहाँ पर चोरियां बहुत कम होती है. लोगों को सरेआम झगड़ते हुए शायद ही कभी देखा जाता है . बस या रेल की टिकिट के लिए आपको बहुत कम इन्तजार करना पड़ता है , तथा टिकिट के लिए आपको छुट्टे पैसे देने के लिए मजबूर नहीं किया जाता जैसा की उत्तर भारत में अमूमन देखा जाता है . यहाँ के सरकारी कर्मचारी भी आप से बहुत अपनत्व से बात करते है .
नई तकनीक को इन राज्यों ने बहुत अपनाया है , राशन कार्ड , गैस बुकिंग ,टिकटिंग ,टैक्स , टेलीफ़ोन बिल जैसे काम ऑनलाइन कर सकते हैं .शिक्षा के क्षेत्र में तो दक्षिण भारत के ये ४ राज्य सदा अवल ही रहे हैं . अकेले कर्नाटक में इतने इंजीनियरिग कोलेज हैं जितने पुरे भारत में नहीं होंगे .
एक से एक भव्य मंदिर यहाँ के हर शहर में देखने को मिलेंगे , मगर एक बात जो यहाँ चुभती है वो है मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आपको पैसे देने पड़ते हैं . और उसपे भी अगर आपको दर्शन करने की जल्दी है तो आप जितने ज्यादा पैसे देंगे उतनी जल्दी आपको दर्शन करने को मिलेंगे . मंदिरों में दान देने के मामले में यहाँ के लोग सबसे आगे हैं .
कोई चाहे कितना भी गरीब हो अगर उसकी मनोकामना पूर्ण हो गई तो वो अपने पास के पुरे पैसे जेवरात तक मंदिर के दान बॉक्स में डाल देता है , यानी भगवान को दान देने में तो भामाशाह जैसा दिल है .तिरुपति बालाजी का मंदिर पूरी दुनिया में सबसे धनाढ्य मंदिर है , जहाँ साल में करोड़ो रुपयों के तो बाल बेचे जाते हैं जो दर्शनार्थियों द्वारा मुराद पूरी होने पर कटवाए जाते है. यहाँ तक की औरतें भी अपने पुरे बाल कटवाकर आती हैं मंदिर में . यहाँ पर ९०% लोग सुबह पूजा करने के बाद ही चाय नाश्ता करते हैं पूरा परिवार सुबह नहाकर पूजा करता है . औरतें बिना घर के आगे रंगोली बनाये कोई काम नहीं करती , उनके द्वारा कुछ ही मिनिटों में घर के आगे बनी गई रंग बिरंगी रंगोली हर किसी का दिल मोह लेती है .
चाय से लेकर सब्जी बेचने वाला तक अगर हिंदी ना भी समझे तो भी आपको अंग्रेजी में वन टू थ्री बोलकर समझा देगा , लेकिन ज्यतादर आपसे हिंदी में वार्तालाप की कोशिश करेंगे . क्या हम उत्तर भारत में कभी किसी दक्षिण भारतीय से उसकी भाषा में एक शब्द भी बोलते हैं ? नहीं
शराब के मामले भी दक्षिण भारत के लोग उत्तर भारत के लोगों से आगे हैं .पूजा पाठ के साथ शराब के भी बहुत शौकीन है यहाँ के लोग यहाँ पे आपको जहाँ शराब का ठेका मिलेगा उसके आस पास कोई ना कोई मंदिर भी जरुर मिलेगा , और दो चार कदम पे मीट की दुकान भी मिलेगी यानी धर्म और निजी जीवन दोनों का बखूबी तालमेल यहाँ देखने को मिलेगा .दक्षिण भारत के ४ राज्य ( आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु,कर्नाटका और केरल ) बाकि देश से कुछ बातों में काफी भिन्न है .तमिलनाडु में हिंदी भाषी लोग ना के बराबर है. पुरे तमिलनाडु में आपको सायद ही कोई हिंदी बोलने या समझने वाला मिलेगा लेकिन इसके विपरीत आंध्रप्रदेश,केरल और कर्नाटका में हिंदी की स्थिति बेहतर है . एक और खास बात है जो में आपसे बाँटना चाहूँगा वो है इन चारों राज्यों की अलग अलग भाषा. उत्तर भारत में अधिकतर राज्यों की भाषा एक दुसरे से मिलती जुलती है ,या फिर वो हिंदी बोलकर एक दुसरे से संवाद कर लेते हैं . मगर इधर एक दुसरे की भाषा बिलकूल नहीं समझते ,यहाँ तक की लिपि भी पूरी तरह से अलग है .
खान पान के मामले में ४ राज्यों में चावल और चावल से बने अन्य पकवान ही बहुतायत में मिलेंगे केरल में नारियल का तेल सब्जी बनाने में उपयोग में लाया जाता है जो को उत्तर भारतीयों को शायद
ही पसंद हो , दक्षिण भारत में कुछ खास पकवानों के नाम इस तरह हैं , लेमन राईस ,सांभर राईस , इडली , मेदू वडा , रश्म ,डोसा ,उपमा , पोंगल आदि मगर इन सब में ९९% चावल और नारियल जरुर मिलेगा .
यहाँ के त्यौहार भी अलग ही हैं पोंगल, ओणम ,पूरम ,चितिरै कुछ खास त्यौहार हैं . उत्तर भारत की तरह यहाँ होली दिवाली जैसे त्यौहार को लोग कम जानते है इसलिए ना के बराबर ही मनाते है ., यहाँ तक की दक्षिण भारत में पंचाग भी अलग होता है.
मगर चाहे जो भी हो , यही तो पहचान है हिंदुस्तान की . "विभिन्नता में एकता "
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