गुरुवार, सितंबर 19, 2019

सैनिक

करीब 90 साल के रिटायर्ड ब्रिगेडियर एमएल खेत्रपाल को 2001 में पाकिस्तान सेना  के रिटायर्ड ब्रिगेडियर ख्वाजा मोहम्मद नसेर ने पाकिस्तान आने का निमंत्रण मिला जिसे ब्रिगेडियर एमएल खेत्रपाल ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। बँटवारे से पहले ब्रिगेडियर एमएल खेत्रपाल के परिवार की जड़ें सरगोधा (आधुनिक पंजाब, पाकिस्तान) से जुड़ी थी, इसलिए वो अपने पैतृक निवास को देखना चाहते थे। 

पाकुस्तान पहुँचने पर ब्रिगेडियर ख्वाजा मोहम्मद नसेर ने ब्रिगेडियर खेत्रपाल को स्वागत किया ओर उन्हे आपने घर  के सभी सदस्यों से मिलवाया। ब्रिगेडियर नसेर ने श्री खेत्रपाल का पैतृक निवास खोजने में भो मदद की । 

एक रात बटेन्न करते हुये ब्रिगेडियर नसेर ने ब्रिगेडियर खेत्रपाल से भावुक हूकर कहा , ”सर ,मैं आपको कुछ कहना चाहता हूँ” ।

ब्रिगेडियर खेत्रपाल- “कहिए ब्रिगेडियर” ।

ब्रिगेडियर नसेर – “सर, मैं जो कुछ कहाँ चाहता हूँ वो आपके शहीद बेटे लेफ्टिनेंट अरुण खेतपाल के बारे में हैं, भारत मे वो एक राष्ट्रीय नायक है, जो भारत का सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र लेने वाला हीरो है। वो सच में बहुत बहादुर बच्चा था”।

ब्रिगेडियर खेत्रपाल- “आप अरुण के बारे में इतना कैसे जानते हैं ब्रिगेडियर” ।

ब्रिगेडियर नसेर – “सर , उसने बड़ी बहदुरी से अपने टँक का संचालन किया था ओर उसने हमारे बहुत से टैंक बर्बाद कर दिये  थे।  ओर वो अकेला अपने टैंक को लेकर अंदर तक घुस गया था। अंत में उसके सामने एक ही टँक बचा था जिसका संचालन मैं कर रहा था। हम अपनी अपनी गन से एक दूसरे पर फायर कर रह थे , मगर ........ वो दिन उसका नहीं था ओर  उस जाँबाज की मौत मेरे ही हाथों होनी थी। मुझे बाद में पता चला की वो सिर्फ 21 साल का लड़का था। मैं आपके बेटे को सैल्यूट करता हूं और आपको भी क्योंकि आपकी परवरिश के बिना वो इतना बहादुर शख्स नहीं बन सकता था.’

ब्रिगेडियर नसेर ने भावुक होकर ब्रिगेडियर खेत्रपाल के कंधो पर हाथ रखा ओर कहा , हमें दया या पश्चाताप के बिना लड़ने और मारने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। हम युद्ध करते हैं कि हमें इसके बारे में बहुत अधिक सोचने के बिना क्या करना है। हालांकि, हम भी इंसान ही हैं, मगर कभी-कभी युद्ध एक व्यक्तिगत मोड़ लेता है और अंतरात्मा पर प्रभाव डालता है”

ब्रिगेडियर खेत्रपाल को नहीं सूझा कि उन्हें इस मौके पर क्या कहना चाहिए. उनके सामने बेटे का हत्यारा था. पर जैसा एक जेंटलमैन ऑफिसर करता है, उन्होंने वही किया. दोनों ने हाथ मिलाया और सोने चले गए. उन्हें इस बात का इल्म था कि यह जंग उनके बेटे और ब्रिगेडियर नासिर के बीच नहीं, हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच हुई थी और फ़ौजी अपने मुल्क के लिए लड़ता है. अगली सुबह दोनों ने कुछ फ़ोटो खींचे और एमएल खेत्रपाल हिंदुस्तान वापस आ गए.

युद्ध में कभी कोई विजेता नहीं होता है, दोनों पक्ष हार जाते हैं और यह उन परिवारों को होता है जिन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ती है और सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। जैसा कि किसी ने कहा था कि 'युद्ध नेताओं द्वारा बनाए जाते हैं, नौकरशाहों द्वारा मिश्रित होते हैं और सैनिक द्वारा लड़े जाते हैं

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