भागते-दौड़ते....
अल सुबह भोर में ही,
लोगों के झुंड के झुंड ,
निकल पड़ते हैं सड़कों पे ,
और शाम के धुंधलके
से लेकर, देर
रात तक,
लौटते रहते हैं उन
घरों में,
जिनको,
बनाना तो आसान था
मगर ,
चलाना दुष्कर है.....
"विक्रम"
ब्लॉग का नाम मैने अपने गाँव (गुगलवा-किरताण ) के नाम पे रखा है ,जो सरकार की मेहरबानी से काफी पिछड़ा हुआ गाँव हैं |आज़ादी के इतने बरसों बाद भी बिजली,पानी ,डाकघर , अस्पताल जैसी सुविधाएँ भी पूर्णरूप से मय्यसर नहीं हैं. गाँव के सुख दुःख को इधर से उधर ले जाता हूँ , ताकि नेता को दया आ जाये | वैसे नेता लोगों से उम्मीद कम ही है इसलिए मैने अपने गाँव (Guglwa) का नाम Google से मिलत जुलता रखा है , ताकि Google की किस्मत की तरह Googlwa की किस्मत भी चमक जाये
मार्गदर्शन और उत्साह के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है | बिंदास लिखें|
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कम्युनल-सेकुलर, सहिष्णुता-असहिष्णुता जैसे शब्द बार बार इस्तेमाल से घिस-घिसकर नुकीले ओर पैने हो गए हैं , उन्हे शब्दकोशों से खींचकर किसी...
बहुत गहरी बात कह दी
जवाब देंहटाएंवाह !!!