में हर साल अक्सर एक या दो बार एक या दो दिन के लिए जा पाता था मगर इस बार कारणवश मुझे १५ दिन रुकना पड़ा और इन १५ दिनों में मेने १० से लेकर २५ साल के युवाओं को शराब डूबे हुए ही देखा रात तो रात दोपहर में भी शराब के नशे में झूमते,गलियों में गिरते ,एक दुसरे से झगड़ते ,गाली-गलोज करते उनको रोजाना देखा गया ऐसे परिवार के युवा भी नशे में लहराते मिले जिनके घर में एक वक़्त का खाना जुटाना भी मुश्किल है मगर पाता नहीं शराब कैसे जुटा ली जाती है
इन सब के पीछे शराब माफियाओं का हाथ साफ साफ नजर आता है में नहीं मानता ९९% युवा एसे कैसे शराब के आदि हो गए , आज कल ठेके पे मिलने वाली ओरंज शराब में जरुर ऐसा कुछ है जो एक या दो बार पीने से पीने वाले को अपना गुलाम बना लेती है घर घर में ठेके वाले शराब रख देते हैं और फिर परिवार के परिवार बर्बाद कर देते हैं
२० साल पहले मेरे गाँव में गीनती के पीने वाले थे मगर आज गीनती केन पीने वाले हैं अगर वक़्त रहते इसको फैलने से रोका नहीं गया तो ये एक महामारी बनकर युवा पीढ़ी को वक़्त से पहले बुड़ा और बीमार बना देगा हमें हर गाँव में ये एलान करना होगा की कोई भी २० साल से कम उम्र के लड़के को शराब ना बेचे और ना ही पीनेदे , हम इसी उम्र में उनको रोक सकते हैं वरना बाद में बहुत देर हो जाएगी और रोक पाना उतना ही कठिन होगा
"विक्रम"